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द डिजिटल काशी की मदद से हम आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति की खोज कर रहे हैं 


फिर हॉल हम आपको हमारे द्वारा तैयार की गई काशी के कुछ रोचक जानकारियों की एक झलक दिखाते हैं जो हमने अब तक के खोज के दौरान पाया  है 


जैसे की 

हम आपको बता दें की काशी कोई एक जगह या पर्यटन स्थल ही नही है एक यन्त्र है जिसका सुचारू रूप से प्रयोग करने पर जन्मो जन्मो के समस्त दुखों और तकलीफों से मुक्ति मिलती है तथा आपको सीधा मोक्ष धाम की ओर अग्रसर करती है काशी को यन्त्र क्यों कहा गया इसका एक संछिप्त वर्णन एक पुस्तक में पाया जाता है जिसका नाम है


श्री काशी खंड कथासार 


काशी में स्थापित ज्यादा तर मंदिर स्वयं देवी देवताओं द्वारा ही स्थापित की गयी हैं जिनका अलग अलग महत्व है 

यहाँ के हर घर हर 20 से 50 कदम के अंतर पर आपको छोटे बड़े मन्दिरों के दर्शन प्राप्त होते हैं.

समस्त काशी माँ गंगा के पावन जल से सिंचित है

तक़रीबन दुनिया के हर देश से लोग विद्या, शांति, मोक्ष, जीवन, कल्याण की मनोकामना लाकर यहाँ आते हैं

बहुत से पर्यटक यहाँ घुमने तो आते हैं परन्तु यहीं के होकर रह जाते हैं.


काशी से जुडी कुछ रोचक जानकारियाँ  



काशी महात्म्य

काशी महात्म्य
अलौकिक ज्ञान से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को आलोकित करने वाली काशी, साक्षात् भगवान् शिव के विग्रह स्वरूप में विराजमान संसार की प्राचीनतम नगरी काशी, विश्वकर्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना काशी, जिसे भगवान शिव ने स्वयं आनन्दकानन तदनन्तर अविमुक्त और अविनाशी कहा।



काशी विश्वनाथ

श्री काशी विश्वनाथ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव जी बारह स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में उपस्थित हैं। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्री सोमनाथ, श्री शैलम् पर श्री मल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्री महाकाल, उज्जैन के निकट खंडवा जिले में ॐ कारेश्वर अथवा ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्री भीमाशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्री नागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्रयम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्री केदारनाथ और शिवालय में श्री घृष्णेश्वर। मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातकाल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से नष्ट जाता है।



काशी के कोतवाल

बाबा काल भैरव
काशी में बाबा विश्वनाथ के बाद यदि किसी का महत्व है, तो वे हैं काशी के कोतवाल काल भैरव। बनारस के लोगों की मान्यता है कि काशी विश्वेश्वर के इस शहर में रहने के लिए बाबा काल भैरव की इजाजत जरूरी है क्योंकि दैवीय विधान के अनुसार वे इस शहर के प्रशासनिक अधिकारी हैं। श्रद्धालुओं में काशी के काल भैरव मंदिर विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद जो भक्त इनके दर्शन नहीं करता है, उसको पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।



माता अन्नपूर्णा

माता अन्नपूर्णा
बनारस में काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अन्‍नपूर्णा का मंदिर है। इन्‍हें तीनों लोकों की माता माना जाता है। कहा जाता है कि इन्‍होंने स्‍वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था। इस मंदिर की दीवाल पर चित्र बने हुए हैं। एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण में कुछ एक मूर्तियाँ स्थापित है,जिनमें माँ काली,शंकर पार्वती,और नरसिंह भगवान का मंदिर है।



मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट
काशी के तमाम घाटों में चर्चित एक घाट का नाम है मणिकर्णिका। इस घाट के बारे में कहा जाता है कि यहां दाह संस्कार होने पर व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण अधिकतर लोग अपने अंतिम समय में इसी घाट पर आना चाहते हैं। यहां पर शिवजी और मां दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसका निर्माण मगध के राजा ने करवाया था।



अहिल्याबाई होलकर

अहिल्याबाई होलकर
महाराष्ट्र के अहमदनगर के जामखेड़ स्थित चौंढी गांव में 31 मई 1725 को अहिल्याबाई का जन्म हुआ था। अहिल्याबाई के पिता मानकोजी शिंदे एक साधारण लेकिन संस्कार वाले परिवार से थे। अहिल्याबाई का विवाह इंदौर के होलकर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव से हुआ था। 1745 में अहिल्याबाई के पहले बेटा (मालेराव) हुआ और फिर तीन साल बाद एक बेटी (मुक्ताबाई)।



प्रशिद्ध मन्दिर एवं पर्यटन स्थल

प्रशिद्ध मन्दिर एवं पर्यटन स्थल
माँ गंगा के सानिध्य से काशी के घाटों की शोभा बहुत बढ़ गयी है। लाखों यात्री प्रतिवर्ष का दर्शन एवं गंगा स्नान करने हेतु आते हैं। भगवान शंकरचार्य, बुद्ध, तुलसीदास आदि महर्षियों ने अपनी साधनायें यहीं पूरी की है। ये घाट चार हजार वर्षों से काशी की शोभा बढ़ा रहे हैं।



काशी के घाट

काशी के घाट
इस पृष्ठ के द्वारा हम आपको काशी के तमाम मनमोहक एवं प्रसिद्ध घाटों से अवगत कराएंगे । वाराणसी में घाट नदी के किनारे कदम हैं जो गंगा नदी के किनारे जाते हैं। शहर में 88 घाट हैं। अधिकांश घाट स्नान और पूजा समारोह घाट हैं, जबकि दो घाटों का उपयोग विशेष रूप से श्मशान स्थलों के रूप में किया जाता हैं।



काशी की तश्वीरें

काशी की तश्वीरें
इस पृष्ठ के द्वारा हम आपको काशी के मनमोहक अवं मनोरम द्रिश्यों से अवगत करायेंगे



काशी के महानतम साधू

काशी के महानतम साधू
इस पृष्ठ के द्वारा हम आपको काशी के महानतम संतों से अवगत कराने की कोसिस कर रहे हैं जिसमे अभी तक हमने श्री तैलंग स्वामी के जीवन से मृत्यु तक के बारे में एक छोटा सा वर्णन किया है




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