अस्सी घाट, असिघाट अथवा केवल अस्सी, प्राचीन नगरी काशी का एक घाट है. यह गंगा के बायें तट पर उत्तर से दक्षिण फैली घाटों की श्रृंखला में सबसे दक्षिण की ओर अंतिम घाट है. इसके पास कई मंदिर और अखाड़े हैं.
असीघाट के दक्षिण में जगन्नाथ मंदिर है जहाँ प्रतिवर्ष मेला लगता है. इसका नामकरण असि नामक प्राचीन नदी (अब अस्सी नाला) के गंगा के साथ संगम के स्थल होने के कारण हुआ है. पौराणिक कथा है की युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद दुर्गा माता ने दुर्गाकुंड के तट पर विश्राम किया था ओर यहीं अपनी असि (तलवार) छोड़ दी थी जिस के गिरने से असी नदी उत्पन्न हुई असी और गंगा का संगम विशेष रूप से पवित्र माना जाता है |यहाँ प्राचिन काशी खंडोक्त संगमेश्वर महादेव का मंदिर है
"अस्सी घाट काशी के पांच तीर्थों में से यह एक है."
अस्सी घाट का महत्व और अनुष्ठान :-
अस्सी घाट वाराणसी के दक्षिण में स्थित सभी का पसंदीदा घाट है। यह वह जगह है जहां कोई बिना किसी गड़बड़ी के बहुत आसानी से घंटों बिता सकता है। यह अद्भुत और सबसे प्राकृतिक जगह है जहां विदेशों के छात्र, शोधकर्ता और यात्री यहां रहने के आदी हैं।
अस्सी घाट किसी भी हिंदू त्योहारों के दौरान भारी भीड़ का स्थान है जहां भक्त अपने पिछले सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए गंगा जल में पवित्र स्नान करने आते हैं। यह भी माना जाता है कि किसी भी पूजा से पहले गंगा जल में स्नान करके पूजा करने के लिए तैयार करें। यह मन, आत्मा और शरीर को स्वच्छ और शांतिपूर्ण बनाता है और आध्यात्मिक विचारों से भर देता है। यह बिना किसी परेशानी के पूजा के दौरान मन को बहुत आसानी से एकाग्र करने में मदद करता है।
अस्सी घाट पर्यटन और पर्यटन के लिए वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध और देखे जाने वाले घाटों में से एक है। यदि वे पर्यटन के लिए भारत आते हैं तो देश के कोने-कोने से और विदेशों से भी लोगों को यहां अवश्य आना चाहिए। कुछ महान त्योहार जैसे महाशिवरात्रि, गंगा दशहरा, गंगा महोत्सव आदि इस घाट पर वाराणसी में भारी भीड़ को आकर्षित करते हैं। अस्सी घाट पर ज्यादातर पर्यटक यहूदी समुदाय से जुड़े हुए हैं। लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अस्सी घाट पर अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया है।
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